कुछ वर्ष पहले मैंने क्या करें (What to do) नामक एक उपन्यास पढ़ा था, जिसके लेखक मशहूर रूसी लेखक निकोलाई चेर्नीशेव्स्की हैं। यह दुनिया की कुछ चुनिंदा किताबों में से है। यह लेनिन और महात्मा गाँधी की सबसे प्रिय किताबों में से थी। इस उपन्यास में रहमेतोव, लोपुखोव और किरतानेव जैसे उदात्त नायकों की परिकल्पना की गई है जो नए और परिष्कृत मानव के आदर्श को निरूपित करते हैं। इसका महत्व इस दृष्टि से अधिक है कि बीसवीं सदी में कई ऐसे महापुरुष वास्तव में हुए जो उन्नीसवीं सदी में चेर्नीशेव्स्की द्वारा की गई परिकल्पना से भी कहीं अधिक महान साबित हुए। मेरा अपना विश्वास है कि इक्कीसवीं सदी में भी कुछ ऐसे महामानव अवश्य उभर सकेंगे जो अब तक के इतिहास में दर्ज महामानवों से भी कहीं अधिक महान सिद्ध होंगे।
उक्त उपन्यास की भूमिका में बताया गया है, “जीवन की सच्चाई को चेर्नीशेव्स्की साहित्यिक रचना की मूल कसौटी मानते थे और उनका यह उपन्यास इस कसौटी पर खरा उतरता है। इस उपन्यास का सर्वोपरि लक्ष्य लोगों के लिए सच्चे अर्थों में सच्ची मानवीय नैतिकता और सच्चे अर्थों में आध्यात्मिकता से समृद्ध जीवन का प्रचार करना है। यह राजनीतिक, सामाजिक और दार्शनिक उपन्यास...वास्तव में प्रेम की पुस्तक है। प्यार-मुहब्बत का उपन्यास नहीं, बल्कि सच्चे अर्थों में प्रेम की पुस्तक जो यह बताती है कि असली, सच्चा प्यार क्या होता है और लोगों को मानव की तरह जीने और प्रेम करने के लिए किस चीज की जरूरत है। यह पुस्तक मनोरंजन और मनबहलाव के लिए नहीं है। यह परिपक्व और चिंतनशील पाठक के लिए है।” लेनिन ने इस उपन्यास के संबंध में लिखा है, "चेर्नीशेव्स्की का यह उपन्यास इतना जटिल और गहन है कि उसे अल्पायु में समझना असंभव है। मैंने खुद, जहाँ तक याद है, 14 वर्ष की आयु में उसे पढ़ने की कोशिश की थी। तब यह व्यर्थ, सतही पठन था। पर बड़े भाई को मृत्युदंड दिए जाने के बाद मैंने उसे फिर से ध्यान से पढ़ने का फैसला किया क्योंकि मुझे मालूम था कि क्या करें उपन्यास मेरे भाई की प्रिय पुस्तक था। और तब मैं उसे कई दिन नहीं, कई सप्ताह तक पढ़ता रहा। तभी मैं उसकी गहराई को समझा। यह एक ऐसी पुस्तक है जो आजीवन उत्साह प्रदान करती है।" चेर्नीशेव्स्की ने स्वयं अपने लेखन के बारे में लिखा है, “मुझमें रत्ती भर साहित्यिक प्रतिभा नहीं है। मेरी रूसी भी बहुत बुरी है। कोई बात नहीं—पढ़ते जाइए, भले लोगों, आप देखेंगे कि आपका समय व्यर्थ ही नष्ट नहीं हुआ। सत्य अत्यंत गौरवशाली ध्येय है, और जो लेखक इस ध्येय की सेवा करता है उसके सारे दोषों का विमोचन हो जाता है।...मेरी कहानी में जो भी गुण हैं उनमें से एक-एक सत्य और केवल सत्य की बदौलत है।” प्रस्तुत है इस उपन्यास से कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ जो मैंने उपन्यास पढ़ते समय अपनी डायरी में लिख ली थीं:
- मानव के लिए अपने कृत्य की सच्चाई, विवेकपूर्णता और नैतिकता की अनुभूति से अधिक बड़ा नैतिक लाभ नहीं होता है।
- अच्छी जिंदगी केवल कमीनों के लिए होती है, उनके लिए नहीं जो ईमानदार हैं।
- प्रेम के बिना एक भी चुम्बन मत देना किसी को, भले ही तुम्हें मर ही जाना क्यों न पड़े!
- कोई भी मनुष्य अपने अस्तित्व को कुंठित किए बिना अकेला नहीं रह सकता। या तो निर्जीव बन जाओ अथवा नीचता से समझौता कर लो।
- आप जिस व्यक्ति से प्रेम करती हैं, उसे ऐसा कोई काम अपने लिए करने की अनुमति नहीं देंगी, जिसे वह संभवतया अरुचिकर माने, वह आपके लिए तनिक-सा भी त्याग करे अथवा जरा-सी भी रियायत दे, उससे पहले आप मर जाना पसंद करेंगी। यही भाषा है अनुराग की, यही है प्रेम। यदि कोई अनुराग कुछ और बतलाता है तो यह निपट वासना है, जिसका प्रेम से कोई वास्ता नहीं।
- जरा से भी तर्क अनुभव से संपन्न किसी निष्कपट साधारण व्यक्ति को धोखा देना बहुत कठिन काम है।
- माल संभालकर रखो, चोर को बेकार ललचाओ मत।
- सिद्धांत चाहे जितना भी नीरस क्यों न हो यह जीवन के सबसे सच्चे मूल-स्रोत से उसका साक्षात्कार कराता है और काव्य का निवास तो सचाई में ही होता है।
- कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होता, जिसके चरित्र में ऐसा कुछ न हो जो निष्कलंक है।