कोई आदमी इतना बुरा नहीं होता कि
अपनी गलती का अहसास कभी कर न सके।
वहम का कोई जाल इतना सघन नहीं होता कि
उसको काटकर ग़लतफ़हमी दूर न की जा सके।’
कोई जख्म इतना गहरा नहीं होता कि
वक्त के साथ भर न जाए।
कोई फासला इतना बड़ा नहीं होता कि
उसको तय कर करीब न आया जा सके।
कोई मुश्किल ऐसी नहीं होती कि
कोशिशों से आसान न बन जाए।
कोई मंजिल इतनी दूर नहीं होती कि
चलते-चलते एक दिन करीब न आ जाए।
कोई चीज ऐसी नहीं खुदा की कायनात में कि
जिसका कोई खूबसूरत इस्तेमाल हो न सके।
कोई विफलता इतनी बड़ी नहीं होती कि
नए सिरे से कोशिश शुरू न की जा सके।
कभी भी इतनी देर नहीं होती कि
सही राह पर आना मुमकिन न रहे।
ऐसी नौबत कभी नहीं आती कि
आगे कोई उम्मीद बाकी न रहे।
1 comment:
"कोई मुश्किल ऐसी नहीं होती कि
कोशिशों से आसान न बन जाए।
कोई मंजिल इतनी दूर नहीं होती कि
चलते-चलते एक दिन करीब न आ जाए। "
बहुत बढियां नसीहतें हैं, अक्षरसः पालन करने योग्य.
धन्यवाद
समीर लाल
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