Saturday, April 08, 2006

नसीहतें

कोई आदमी इतना बुरा नहीं होता कि

अपनी गलती का अहसास कभी कर न सके।

वहम का कोई जाल इतना सघन नहीं होता कि

उसको काटकर ग़लतफ़हमी दूर न की जा सके।

कोई जख्म इतना गहरा नहीं होता कि

वक्त के साथ भर न जाए।

कोई फासला इतना बड़ा नहीं होता कि

उसको तय कर करीब न आया जा सके।

कोई मुश्किल ऐसी नहीं होती कि

कोशिशों से आसान न बन जाए।

कोई मंजिल इतनी दूर नहीं होती कि

चलते-चलते एक दिन करीब न आ जाए।

कोई चीज ऐसी नहीं खुदा की कायनात में कि

जिसका कोई खूबसूरत इस्तेमाल हो न सके।

कोई विफलता इतनी बड़ी नहीं होती कि

नए सिरे से कोशिश शुरू न की जा सके।

कभी भी इतनी देर नहीं होती कि

सही राह पर आना मुमकिन न रहे।

ऐसी नौबत कभी नहीं आती कि

आगे कोई उम्मीद बाकी न रहे।

1 comment:

Udan Tashtari said...

"कोई मुश्किल ऐसी नहीं होती कि
कोशिशों से आसान न बन जाए।
कोई मंजिल इतनी दूर नहीं होती कि
चलते-चलते एक दिन करीब न आ जाए। "

बहुत बढियां नसीहतें हैं, अक्षरसः पालन करने योग्य.
धन्यवाद
समीर लाल